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Lathmar Holi 2024: लट्ठमार होली 2024, जानें परंपरा, इतिहास और महत्व 

Holi 2024

Lathmar Holi 2024, its importance and history

आईए जानते है कि महिलाएं होली पर पुरुषों को लाठियों से क्यों मारती हैं ? बरसाना और नंदगांव में मनाई जाने वाली मजेदार लठमार परंपरा के बारे में सब कुछ जानें।

होली का त्योहार हिन्दू धर्म के बड़े त्योहारों में से एक है। यह त्योहार अपनी तिथि से कई दिन पहले ही आरंभ हो जाता है। होली रंगों का त्योहार है और लोग एक दूसरे को रंग लगा कर इसे मनाते हैं। Holi 2024

Holi 2024: Social Media

होली का महत्व

होली भगवान कृष्ण और देवी राधा के प्रेम और मिलन का उत्सव है। एक-दूसरे के प्रति उनका प्रेम हर चीज से बढ़कर है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय का भी जश्न मनाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन  भगवान विष्णु ने हिरण्यकशिपु पर की सफलता प्राप्त की थी।

लट्ठमार होली – Lathmar Holi 2024

नंदगांव और बरसाना के लोग लठमार होली मनाते हैं। यह सुनने में जितना अनोखा लगता है, इसके पीछे की परंपरा भी उतनी ही प्राचीन है। यह परंपरा भगवान कृष्ण के समय ही प्रचलित हो गई थी। उत्तर प्रदेश में मथुरा से लेकर नंदगाँव और बरसाना कस्बों में एक अनोखी परंपरा देखने को मिलती है।

लट्ठमार होली की कहानी, इतिहास और महत्व- History and Importance of Lathmar Holi

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान कृष्ण बरसाना और नंदगांव में राधा और उनकी सहेलियों से मिलने जाते थे तो उन्हें चिढ़ाते थे। इसकी जवाब मे महिलाएँ उन पर नाराज़ होती थीं और उन्हें लाठी डंडों से मार कर शहरों से बाहर निकालने का पर्यटन करती थीं। हर साल होली के दौरान यही परंपरा निभाई जाती है। परंपरा को मानने के पीछे लोगों की भगवान कृष्ण में अपार आस्था है। 

होली के दिन पुरुष व महिलाओं में नोक झोंक होती है और एक दूसरे का मज़ाक में उड़ते हैं। महिलाएं पुरुषों को लाठियों से पीटकर और उन्हें बाहर निकालने की कोशिश करती हैं। जो लोग पुरुषों द्वारा पकड़े जाते हैं उन्हें फिर महिलाओं के वस्त्र पहनाए जाते है और उनसे सार्वजनिक रूप से नृत्य करवाया जाता है। यह मजेदार परंपरा हर साल नंदगांव और बरसाना के क्षेत्र में आज भी जीवंत हैं।

इस साल होली कब मनाई जाएगी – When Holi will be celebrated this year?

इस वर्ष होली 25 मार्च को मनाई जाएगी। होली से एक दिन पहले होलिका दहन या छोटी होली मनाई जाती है।

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